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महाशिवरात्रि व्रत कथा: शिकारी चित्रभानु को मोक्ष की प्राप्ति की प्रेरणादायक कथा

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महाशिवरात्रि व्रत कथा: शिकारी चित्रभानु को मोक्ष की प्राप्ति की प्रेरणादायक कथा

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पूजा में बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी आदि का विशेष महत्व होता है, परंतु व्रत कथा का भी उतना ही महत्व है। शिवपुराण में महाशिवरात्रि की व्रत कथा और इसके महत्व का विस्तृत वर्णन किया गया है।


शिकारी चित्रभानु की प्रेरणादायक कथा

महाशिवरात्रि की व्रत कथा एक शिकारी चित्रभानु की कहानी पर आधारित है, जिसने अनजाने में शिवरात्रि का व्रत और पूजन किया और अंत में मोक्ष को प्राप्त हुआ।

चित्रभानु की कठिनाइयाँ और शिवरात्रि व्रत की शुरुआत

चित्रभानु नामक शिकारी एक छोटे से गाँव में रहता था और अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए शिकार किया करता था। वह अत्यधिक कर्ज में डूबा हुआ था और उसकी आर्थिक स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी। एक दिन एक साहूकार उससे कर्ज वसूलने आया और उसे पकड़कर एक शिव मठ में बंद कर दिया।

उस दिन शिवरात्रि थी, और चित्रभानु ने वहां शिवरात्रि की व्रत कथा सुनी। कथा ने उसके मन में गहरी छाप छोड़ी, लेकिन उस समय उसका पूरा ध्यान केवल अपने कर्ज से मुक्त होने पर था। शाम होते ही उसने साहूकार से प्रार्थना की कि यदि वह उसे छोड़ दे तो अगले दिन तक वह कर्ज चुका देगा। साहूकार को उस पर विश्वास हुआ और उसने उसे छोड़ दिया।


शिवलिंग की अनजाने में पूजा

कर्ज चुकाने के दबाव में चित्रभानु जंगल में शिकार की तलाश में निकल पड़ा। जंगल में एक तालाब के किनारे बेलपत्र का एक विशाल वृक्ष था, जिसके नीचे एक शिवलिंग स्थित था। हालांकि, इस बात से चित्रभानु अनजान था। वह पेड़ पर चढ़ गया और शिकार के लिए इंतजार करने लगा।

शिकार की तलाश के दौरान, वह बार-बार बेलपत्र तोड़कर नीचे गिरा रहा था, जो संयोगवश शिवलिंग पर गिर रहे थे। साथ ही, वह रातभर जागता रहा, जिससे अनजाने में उसका रात्रि जागरण भी हो गया। इस प्रकार, बिना किसी योजना के ही, उसने शिवरात्रि का व्रत और पूजन कर लिया।

दया और करुणा का जन्म

कुछ समय बाद, एक गर्भवती हिरणी तालाब में पानी पीने आई। चित्रभानु उसका शिकार करने के लिए तैयार हो गया, लेकिन हिरणी ने उससे प्रार्थना की कि वह उसे जीवनदान दे दे, ताकि वह अपने बच्चे को जन्म दे सके। उसने वचन दिया कि वह प्रसव के बाद खुद शिकार के लिए आ जाएगी। चित्रभानु ने उसकी बात मान ली और उसे जाने दिया।

इसके बाद, दूसरी हिरणी आई जो अपने पति की तलाश में भटक रही थी। उसने भी शिकारी से प्रार्थना की कि उसे जाने दिया जाए। चित्रभानु ने उसे भी जीवनदान दे दिया।

रात बीतने लगी और कुछ देर बाद एक हिरणी अपने बच्चों के साथ तालाब पर आई। चित्रभानु ने फिर से शिकार की कोशिश की, लेकिन हिरणी ने विनती की कि वह अपने पति को खोजने निकली है और मिलते ही शिकार बनने के लिए लौट आएगी। चित्रभानु को दया आई और उसने उसे भी जाने दिया।

अंततः, सुबह होते ही हिरणों का पूरा परिवार तालाब के किनारे आ पहुंचा और चित्रभानु से आग्रह किया कि अब वह उन्हें मार सकता है। लेकिन रातभर हुई घटनाओं ने चित्रभानु के हृदय में करुणा उत्पन्न कर दी थी। उसे अपने किए हुए शिकारों का पश्चाताप हुआ और उसने पूरे हिरण परिवार को जीवनदान दे दिया।


मोक्ष की प्राप्ति

चित्रभानु को इस बात का आभास हुआ कि रातभर उसने अनजाने में ही शिवलिंग की पूजा कर ली थी। उसने बेलपत्र चढ़ाए, रातभर जागरण किया और किसी भी प्राणी को हानि नहीं पहुंचाई। शिवजी की कृपा से उसकी आत्मा शुद्ध हो गई और उसके जीवन में परिवर्तन आ गया।

कुछ वर्षों बाद जब चित्रभानु का अंत समय आया, तो शिवरात्रि के व्रत के पुण्य प्रभाव से उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई। शिवजी की कृपा से वह शिवलोक को प्राप्त हुआ।

महाशिवरात्रि व्रत कथा का महत्व

महाशिवरात्रि की इस कथा से यह स्पष्ट होता है कि भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति किसी भी रूप में की जाए, वह फलदायी होती है। इस कथा का संदेश यह है कि भक्ति का मार्ग किसी के लिए भी खुला है, चाहे वह ज्ञानी हो या अज्ञानी, धनी हो या निर्धन।

यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि दया, करुणा और पश्चाताप से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है। शिकारी चित्रभानु का जीवन इसका जीता-जागता उदाहरण है।

महाशिवरात्रि पर व्रत और पूजा की विधि

  1. स्नान और संकल्प: प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  2. शिवलिंग का अभिषेक: दूध, जल, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करें।
  3. बेलपत्र अर्पित करें: शिवजी को बेलपत्र, धतूरा, भांग, अक्षत, पुष्प आदि अर्पित करें।
  4. शिव मंत्रों का जाप करें: 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें।
  5. रात्रि जागरण करें: भगवान शिव की आराधना करते हुए पूरी रात जागरण करें।
  6. व्रत कथा पढ़ें: महाशिवरात्रि की व्रत कथा का श्रवण करें।
  7. भजन-कीर्तन करें: शिव भजनों का गान करें।
  8. व्रत का पारण करें: अगले दिन सुबह व्रत का समापन करें।

निष्कर्ष

महाशिवरात्रि एक पावन पर्व है जो शिवभक्तों को शिव कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर प्रदान करता है। शिकारी चित्रभानु की कथा यह सिखाती है कि सच्चे हृदय से की गई पूजा और दया भाव का अद्भुत प्रभाव होता है।

भगवान शिव की कृपा पाने के लिए आवश्यक नहीं कि पूजा विधि-विधान से ही की जाए, बल्कि यदि भक्ति सच्चे हृदय से की जाए, तो शिवजी अवश्य प्रसन्न होते हैं। इस महाशिवरात्रि पर हम सभी को शिवभक्ति के मार्ग पर चलकर आत्मशुद्धि की ओर अग्रसर होना चाहिए।

ॐ नमः शिवाय!

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